अनुभवी आंखे न्यूज़ डेस्क
रिपोर्ट —विवेक कुमार✍

हरिद्वार महाकुंभ महापर्व कुंभ मेला काल हर बार एक जनवरी से शुरू होकर 30 अप्रैल तक चार महीने रहता है। लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस बार मार्च से ही मेला माना जाएगा । यद्यपि मार्च में एक ही शाही स्नान है। कुंभ मेले की अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है। माना जा रहा है कि

 इस बार कुंभ केवल 48 दिन का ही होगा। मेला अवधि निर्धारण के बाद ही सभी 13 अखाड़े अपनी पेशवाईयों और धर्मध्वजाओं के कार्यक्रम घोषित करेंगे ।

कुंभ मेले ग्रहों के राजा बृहस्पति और सूर्य के राशि परिवर्तन पर निर्भर हैं। बृहस्पति जब कुंभ राशि में आए और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करे , तब हरिद्वार कुंभ मेला लगता है। इस बार कुंभ महापर्व केवल 14 अप्रैल को होगा और सूर्य के मेष में रहने से एक महीने बाद तक चलेगा । मुख्य शाही स्नान 14 अप्रैल को होगा । वैसे 11 मार्च को शिवरात्रि , 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या और 27 अप्रैल को वैशाख पूर्णिमा के अवसर पर भी तीन अन्य शाही स्नान होंगे ।

पहला शाही स्नान 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व पर
दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या पर
तीसरा शाही स्नान 14 अप्रैल को बैसाखी मेष पूर्णिमा पर
चौथा शाही स्नान  27 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा प

समुद्रमंथन के बाद हरिद्वार , प्रयाग , उज्जैन और नासिक में अमृत कुंभ रखा गया था। अमृत छलकने के उसी योगके आने पर कुंभ मेले लगते है ,

 

 

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