गया(संवाददाता धीरज गुप्ता) – कितने दुर्भाग्य की बात है कि विवाह के सात फेरों में सात जन्मों का साथ पाने की कसम लेने वाली अर्धांगिनी अपनी स्वच्छंद जीवन शैली के चलते एक जन्म भी पति का साथ न निभा सकी और कर बैठी वो गलती जिसे आज के समाज में चरित्रहनन की परिभाषा दी जाती है। कुछ ऐसा ही कारनामा किया बिहार प्रान्त के गया जनपद की छोटकी डेल्हा खर-खुरा रोड थाना डेल्हा निवासी चंचल कुमारी पिता-सिध्दहेश्व गिरी की बेटी की शादी रवि कुमार गिरि से हिन्दू-रीति- रिवाज के साथ 29 मई 2015 को शादी सम्पन्न हुआ था।शादी के बाद ससुराल अपने पति के साथ धनबाद आ गई,और एक भारतीय नारी की तरह खुशी पूर्वक जीवन यापन करने लगी।वही शादी के दो महीने के बाद चंचल देवी अपने भाई के साथ अपने मायके चली आई।एक सप्ताह के बाद जब अपने पत्नि को लाने ससुराल पहुंचा तो वह ससुराल जाने से इनकार कर दी,और कारण पूछने पर मेरे सामने एक शर्त रख दिया की मैं आपके साथ एक शर्त पर चलूँगी जब आप अलग मकान लेकर रहेंगे जहाँ सिर्फ आप और में रहुँगा और मैं आपकी माँ की सेवा नही करूँगा। काफी समझाने के बाद वह रवि गिरि के साथ चलने के लिए तैयार हो गई।कुछ दिनों के बाद फिर वही धमकी देने लगी अपने माता- पिता से अलग रहो नही तो आत्महत्या कर लूँगी,मुझसे तुम्हारी बूढ़ी माँ की सेवा नही होगी।जब इसकी सूचना रवि उसके माता- पिता से किया तो वे लोग उसको समझाने के बजाय उल्टे मुझपर केश करने व जान से मारने की धमकी देने लगे।अचानक 5 जनवरी 2019 को शाम 5 बजे घर मे ताला लगाकर भाग गई और साथ मे घर मे रखा पच्चीस हजार रुपये और गहने लेकर फरार ही गई।जब इसकी सूचना अपने इलाके जे पुलिस थाना देने गया तो हमे वहां से भगा दिया गया और मेरे आवेदन को फाड़ कर फेंक दिया,मेरा मजाक उड़ाया मुझे अपशब्द बोलकर लज्जित किया,जिससे मैं शर्म से वहाँ से घर आ गया।updated by gaurav gupta

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