जानकीनगर(पूर्णियां)- सरकार ने बनमनखी अनुमंडल के 31 उत्क्रमित मध्य विद्यालय को उत्क्रमित उच्च विद्यालय में परिणत कर दिया है। ऊंचे ऊंचे भवन भी बन गया है लेकिन किसी भी विद्यालय में सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक विद्यालय में नहीं दिया गया। लेकिन किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए सबसे जरूरी शिक्षकों की यहां भारी कमी है। इसके कारण नामांकित बच्चों की पढ़ाई के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जा रही है।
कई विद्यालय में एक या शिक्षक कई ऐसे विद्यालय जिसे उच्च विद्यालय तो बना दिया गया लेकिन सरकार एवं विभाग द्वारा वहां उच्च विद्यालय का एक भी शिक्षक के सरकार द्वारा अब तक नहीं भेजा गया है।प्रभारी एवं मध्य विद्यालय के शिक्षक उच्च विद्यालय के बच्चों को किसी तरह से पढ़ा कर सिर्फ अपना केवल कोरम पूरा कर रहे हैं। इन विद्यालयों में हजारों बच्चे नामांकित है। लेकिन वहां बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था नहीं है। दसवीं क्लास के छात्रा पिंकी कुमारी और पूर्वर्ती छात्र लालमोहन आनंद ने बताया कि जब हमारा गांव रामपुर तिलक के मध्य विद्यालय को उत्क्रमित उच्च विद्यालय बनाया गया तो हमें काफी खुशी हुई कि अब हमें स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव में ही मौका मिल जाएगा। लेकिन यहां के लचर शिक्षा व्यवस्था ने हमारे सपनों को कुचल कर रख दिया है।
यहां नवम् क्लास की छात्रा चनेली कुमारी ने बताया कि हमारे मध्य विद्यालय को जब उच्च विद्यालय में परिणत किया गया तो इस इलाके के सैकड़ों छात्र-छात्राओं को काफी खुशी हुई कि अब हमें उच्च विद्यालय में पढ़ाई के लिए बनमनखी जानकीनगर और मुरलीगंज जाना नहीं पड़ेगा। लेकिन शिक्षकों के कमी के कारण हमारे अरमानों पर पूरी तरह से पानी फिर गया। हमारे विद्यालय में उच्च विद्यालय के कोटे से एक भी शिक्षक नहीं है एवं मध्य विद्यालय के शिक्षक ही उच्च विद्यालय के छात्र-छात्राओं को किसी तरह पढ़ाते है ।
दसवीं क्लास के सौरभ कुमार ने बताया कि हम सब रोजाना समय से अपने विद्यालय जाते थे लेकिन शिक्षक के नहीं रहने के कारण पूरे दिन विद्यालय में सिर्फ हमारा समय बर्बाद होता था। बाद में हमने विद्यालय जाना ही छोड़ दिया। समाजसेवी प्रेम शंकर बाबा ने बताया कि पहले और आज के समय में कुछ नहीं बदला है इन मध्य विद्यालय के उत्क्रमित होने से पूर्व इस इलाके के बच्चे जानकीनगर,बनमनखी,मुरलीगंज आदि स्थित उच्च विद्यालय में अपना नामांकन करा कर पढ़ाई करते थे। आज भी स्थिति कमोवेश यही है, बस इतनी सुविधा हुई कि अब मैट्रिक परीक्षा के रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने में जो परेशानी होती थी उससे काफी हद तक मुक्ति मिल गई है । बहरहाल इन उत्क्रमित विद्यालयों का उच्च विद्यालय बने तीन साल से भी ज्यादा बीत चुका है और आज भी इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। वांलिटयर सदस्य -लालमोहन आनंद , updated by gaurav gupta

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