मऊरानीपुर (झाँसी) – नगर के बी. एस. एम. स्कूल गाँधीगंज में हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का जन्मदिन बडे धूमधाम तरीके के साथ बच्चों ने अपने सच्चे देशभक्त को याद करके मनाया । देशभक्त के जन्मदिन कार्यक्रम का शुभारम्भ मैनेजिंग डायरेक्टर प्रीति सैनी ने बच्चों को देशभक्ति का पाठ पढाते हुये नेता जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। इसके साथ ही समस्त अध्यापकों और बच्चों ने माल्यार्पण किया । जिसमें वक्ताओं ने अपने वक्तव्व से नेता जी के जीवन पर गहरा प्रकाश डालते हुये उन्हें याद किया। इसी के चलते अध्यापक सुरेन्द्र कुशवाहा ने अपने सम्बोधन में बच्चों को सुभाष चन्द्र बोस के जीवन काल के बारे में गहराई से समझाया। और बच्चों को इसी तरह से उनके मार्ग पर चलने के लिये कहा। जिसमें बताया कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक में एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम जानकी प्रसाद बोस एवं माता का नाम प्रभावती था। इनके पिता एक मशहूर वकील थे। इनके पिता की 14 सन्तानें थी जिसमें 6 बेटियाँ और 8 बेटे थे। सुभाष चन्द्र बोस अपने पिता की 9 वी सन्तान के साथ 5 वें बेटे थे। इसके साथ ही सुभाष चन्द्र बोस को सबसे ज्यादा लगाव अपने भाई शरद चन्द्र से था। इनकी प्रारम्भिक पढाई कटक के रेवेशॉव कालेजिस्ट स्कूल में हुयी थी। ये शिक्षा प्राप्त करने के लिये इंग्लैण्ड गये इन्होने सिविल सर्विस में चौथा स्थान प्राप्त किया। सुभाष चन्द्र बोस महात्मा गाँधी के अहिंसा के विचारों से सहमत नही थे। जहाँ महात्मा गाँधी उदार दल का नेतृत्व करते थे। वही सुभाष चन्द्र बोस क्रांतिकारी दल के प्रिय थे। सबसे पहले गाँधी जी को राष्ट्रपिता कहकर नेता जी ने ही संबोधित किया था। उन्हें सन् 1938 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया था। सन् 1939 में गाँधीवादी प्रतिद्वंद्वी को हराकर विजयी हुये थे। इसी बीच दूसरा विश्व युद्व भी छिड गया था। जो सन् 1933 से 1936 तक ये यूरोप में रहे। 1937 में अपने सेक्रेटरी ऑसटियन युवती येमली से इन्होनें शादी की उन दोनों की एक अनीता नाम की बेटी पैदा हुयी। इसी क्रम में सन् 1943 में जर्मनी छोड दिया । वहाँ से वह जापान पहुँचे। नेताजी जी के नाम से जानने वाले सुभाष चन्द्र बोस ने शाश्वस्त क्रान्ति द्वारा भारत को स्वतन्त्र कराने के उद्देश्य से सन् 1943 में आजाद हिन्द फौज की स्थापना की और आजाद हिन्द फौज का गठन किया। इस संगठन के प्रतीक चिन्ह पर एक झण्डे पर दहाडते हुये बाघ का चिन्ह बताया। नेताजी ने हिन्द फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को वर्मा पहुँचकर अपने नारे की शुरुआत की। यहाँ पर उन्होनें अपना प्रसिद्व नारा तुम मुझे खून दो मै तुम्हें आजादी दूँगा दिया । इसी के साथ 18 अगस्त 1945 को टॉकियों (जापान) जाते समय ताईवान के पास नेताजी का हवाई जहाज दुर्घटना में निर्धन हो गया था। लेकिन उनका शव न मिलने से काफी मत बने हुये है। जो आज भी विवादों की श्रेणी में बने हुये है। इसी के साथ अन्त में बच्चों को बिस्कुट मिष्ठान के रुप में वितरण की गयी। इस मौके पर सौरभ भार्गव, प्रीति सैनी, रुबी बानो, सुरेन्द्र कुशवाहा, रुचि सेन, धनकू देवी आदि विधालय स्टाफ उपस्थित रहा। अन्त में सभी का आभार डायरेक्टर सौरभ भार्गव ने व्यक्त किया। रिपोर्ट_सौरभ भार्गव अनुभवी आँखें न्यूज मऊरानीपुर ।

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