दोस्तों , समय परिवर्तनशील है यह हम सब जानते हैं। आज से कई दशक पहले पत्रकारिता के जनक गणेश शंकर विद्यार्थी ने अखबार निकाल कर जन जागरण कर क्रांति ला दिया था। वक्त बदला, दौर बदला और बदल गया सूचना के माध्यम। हस्तलिखित अखबार प्रिंट होने लगा और आधुनिक तकनीक से भी आॅफसेट प्रिंटिंग में बदल कर कलरफुल हो गया।
एक दौर यह भी आ गया कि टीवी पर खबर आने लगा। पत्र पत्रिकाओं का बाजार खत्म होता चला गया। इसके शिकार हम भी हुए। लगे हाथ आपको बता दें कि 1995 से स्वेता पब्लिकेशन्स के अधीन कई पत्र पत्रिकाओं के साथ अनुभवी आंखें का प्रकाशन आरंभ होकर 2015-16 के दौर आते आते बंद हो गई।

आपको यह भी बता दें कि अनुभवी आंखें, अनुभवी सरस कथाएँ, अनुभवी सत्यकथा दर्शन व अनुभवी हैल्थ प्रोब्लम्स व अन्य पत्र पत्रिका सर्वत्र भारत में बिकती थी। जैसा कि हम सब जानते हैं कि वक्त परिवर्तनशील है। हमारा दौर भी चला गया। नया दौर यानि आजका दौर मतलब सोशल मीडिया नेटवर्क का दौर। इंटरनेट का दौर। इ अखबार, वेब टीवी व वेबसाइट का दौर। फेसबुक, व्हाट्सएप्प व ट्विटर का दौर। सभी बड़े अखबार व टीवी चैनलों ने बदलते हालात के मद्देनजर अपना वेबसाइट बना डाला है। हमने भी बनाया www.anubhaviaankhennews.com नाम से। गूगल व प्ले स्टोर पर एप्प “अनुभवी आंखें न्यूज” के नाम से बनाया।
एसोचैम के एक सर्वे के अनुसार उपरोक्त बातें साबित भी हो गयी है कि लोग अब मोबाइल में सिमट रहे हैं। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, पुणे व बैंगलोर जैसे शहरों में सर्वे से स्पष्ट हुआ कि लोग अब मोबाइल में सिमट रहे हैं।

चलिए जब पाठक बदल गया है तो हम भी बदल गए हैं। “अनुभवी आंखें न्यूज” को फेसबुक, ट्विटर, पिन्टरेस्ट, यूट्यूब, गूगल प्लस व प्ले स्टोर के साथ वेबसाइट पर लेकर आ गए हैं। फूल अपडेट लेटेस्ट ट्रेंड के साथ। हमसे फेसबुक के ग्रूप में जुडिए। ट्विटर पर फॉलो करे। एप्प इंस्टाल कर वेबसाइट भी देखें। हमे अपने आसपास की खबर भेजे। रिपोर्टर बनिए। हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 8826227802 पर बायोडाटा भेजिए आईडी प्रूफ फोटो के साथ। आज का दौर आपकी पसंद के साथ “अनुभवी आंखें न्यूज”।ः संतोष कुमार गुप्ता, समाचार संपादक।

loading...