मऊरानीपुर (झाँसी) – नगर में देवउठनी एकादशी बडे धूमधाम तरीके के साथ मनायी गयी। जिसमें लोगों ने गन्नों को ले जाकर घरों में पूजा अर्चना की। वही देवउठनी एकादशी को हम प्रबोधिनी एकादशी भी कहते है। इसे हम पाप मुक्त करने वाली एकादशी भी कहते है। यह एकादशी पापों से मुक्त करने वाली एकादशी होती है। लेकिन इस एकादशी का महत्व बहुत अधिक माना जाता है। राजसूय यज्ञ करने से जो पुण्य मिलता है वह पुण्य इस एकादशी के करने से मिलता है। उससे कई अधिक पुण्य इस एकादशी करने से मिल जाता है। इस दिन से चार माह पूर्व देव शयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु एवं अन्य देवता क्षीरसागर में जाकर सो जाते है। इसी कारण इन दिनों बस पूजा पाठ तप एवं दान के लिये कार्य होते है। जैसे – शादी, मुंडन संस्कार, नाम करण संस्कार आदि नही किये जाते है। यह सभी कार्य देव उठनी एकादशी से शुरु हो जाते है। इस दिन तुलसी विवाह का भी महत्व हे। इस दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है। इस प्रकार पूरे नगर में शादी विवाह के उत्सव शुरु हो जाते है। यह कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की ग्यारस के दिन देव उठनी ग्यारस अथवा प्रबोधिनी एकादशी मनायी जाती है। यह दिन दिवाली के ग्यारहवें दिन आता है । तो इस दिन से सभी मंगल कार्यो का प्रारम्भ होता है। इसी के चलते नगर में भी देवउठनी एकादशी की पूजा के लिये गन्नों का भी महत्व जो पूजा अर्चना में होता है वह भी काफी अत्यधिक संख्या में देखे गये जिसके भाव काफी उच्च रेट पर देखे गये। सुबह से देर रात तक गन्नों एवं बाजारों में काफी भीड देखने को मिली। वही लोगों ने बढचढकर गन्नों की बिक्री की। और लोग अपने- अपने घरों तक गन्नों को और पूजा अर्चना का सामान ले जाते देखे गये। इसी के चलते नगर में देवउठनी एकादशी का काफी महत्व देखा गया। रिपोर्ट_सौरभ भार्गव अनुभवी आँखें न्यूज मऊरानीपुर । updated by gaurav gupta

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