*कुपोषण को लेकर महाबोधि होटल में आयोजित की गई कार्यशाला
बिहार(संवाददाता धीरज गुप्ता) – गया में समेकित बाल विकास परियोजना, यूनिसेफ एवं सेंटर फॉर लर्निंग के द्वारा कुपोषण को लेकर गया और पूर्णिया जिला के लिए पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन बोधगया के महाबोधि होटल में किया गया है इस कार्यशाला का उद्घाटन जिलाधिकारी अभिषेक सिंह के कर कमलों द्वारा किया गया है और इस अवसर पर उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी लोग इस विषय से जुड़े हुए हैं समेकित बाल विकास परियोजना ने एक संकल्प लिया है कि जो हमारा कार्यक्रम है वह एक नया आयाम दे सके एवं उन्होंने कहा कि गया पोषण के क्षेत्र में गया में सुधार की आवश्यकता है और पोषण एक महत्वपूर्ण विषय है किसी भी बच्चे के विकास के लिए है लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है उस अवधि में उसका मानसिक विकास होना है उन्होंने कहा कि उस अवधि में कैसे उनका बेहतर विकास हो सके और कैसे उन्हें एक अच्छा प्लेटफार्म दिया जा सके ताकि वे अपनी क्षमताओं का पूर्ण रूपेण विकसित कर सकें एवं उन्होंने कहा कि यू पी एस सी में उनका विषय मनोविज्ञान था और वे जानते हैं कि बच्चों के मानसिक विकास के लिए उचित प्लेटफॉर्म आवश्यक है और उन्होंने कहा कि कई मायने में ग्रामीण बच्चों/ गरीब बच्चों को यह सुविधा नहीं मिलती जो शहरी क्षेत्र के बच्चों को मिलती है उन्होंने कहा कि आईसीडीएस एक महत्वपूर्ण योजना है जो स्वास्थ्य एवं शिक्षा दो विभाग के कार्य को लेकर चलती है स्वास्थ्य के मदर एंड चाइल्ड हेल्थ केयर के तहत गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच एवं पोषण की व्यवस्था,संस्थागत प्रसव, प्रसव पूर्व जांच, प्रसव उपरांत जांच कराती है कैसे बच्चों का विकास होना चाहिए एवं उनका टीकाकरण कराया जाता हैं और इसके उपरांत उन्हें प्रारंभिक शिक्षा का माहौल दिया जाता है एवं शब्दों को बेहतर ढंग से समझने की क्षमता विकसित की जाती है प्ले स्कूल का कंसेप्ट बाद में आया है। खासकर शहरी क्षेत्र में छोटे बच्चों को प्ले स्कूल में भेजा जाता है ताकि वे खेल के माध्यम से शब्दों को समझ सकें और वहां उनका सर्वांगीण विकास हो सके। उन्होंने कहा कि ग्रामीण बच्चों के पास भी उतनी ही क्षमता है केवल वह प्लेटफॉर्म नहीं मिलता जो शहरी बच्चों को मिलता है और इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने वाले वर्करों का उसी प्रकार का प्रशिक्षण आवश्यक है एवं यदि हम उन्हें वह प्लेटफार्म देने में कामयाब होते हैं तो लोगों कि जो अवधारणा आंगनबाड़ी केंद्र, सरकारी तंत्र और पदाधिकारियों के बारे में है उसे बदल सकेंगे एवं दूसरा कि हम एक नई पीढ़ी में विनियोग कर रहे हैं 20 वर्षों के बाद जो गया कि नई पीढ़ी होगी वह बेहतर होगी और उन्होंने कहा कि यह पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम इसमें सहायक होगी एवं बशर्ते की आंगनवाड़ी केंद्रों पर हूबहू इसका प्रयोग किया जाए और जो यहां बताया जा रहा है उसका प्रयोग आंगनबाड़ी केंद्रों पर हो सके और उन्होंने प्रतिभगी सभी सीडीपीओ को कहा कि 5 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण में मनोयोग से भाग लेकर अपने आंगनबाड़ी केंद्र पर इसका क्रियान्वयन करावें तभी इस प्रशिक्षण को सफलता मिलेगी एवं उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि जब थर्ड पार्टी किसी कार्यक्रम में शामिल होती है तो व्यवस्था में बदलाव देखने को मिलता है लेकिन जब थर्ड पार्टी हट जाती है तो पुनः व्यवस्था उसी तरह दिखने लगती है जैसे पहले थी एवं यह नहीं होना चाहिए बदली हुई व्यवस्था में स्थायित्व होना चाहिए एवं गया और पूर्णिया के ऊपर यह एक दायित्व है कि वह अपने आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से यहां के बच्चों के कुपोषण को दूर करें और उन्हें एक वांछित प्लेटफार्म दे ताकि उनका समुचित शारीरिक एवं मानसिक विकास हो सके और इस कार्यशाला में एक आदर्श आंगनवाड़ी केंद्र का डेमो भी दिखलाया गया। updated by gaurav gupta