नई दिल्ली: अनियमित जीवनशैली युवाओं में भी उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या को बढ़ा रही है और इन समस्याओं की वजह से कम उम्र में किडनी प्रतिरोपण तक की नौबत आ जाती है. किडनी रोग विशेषज्ञों के मुताबिक अनियंत्रित उच्च रक्तचाप :हाइपरटेंशन: का सही समय पर उपचार और ध्यान नहीं दिये जाने के चलते 20 से 40 साल के उम्र के युवाओं को भविष्य में किडनी खराब होने की स्थिति का सामना करना पड़ता है और कई मामलों में किडनी तक बदलवानी पड़ती है.

खराब जीवनशैली से बढ़ रही हैं समस्याएं

राजधानी स्थित वेंकटेश्वर अस्पताल के किडनी ट्रांसप्लांट के निदेशक डॉ पी पी वर्मा ने कहा, ‘‘भारत में किडनी फेल होने के करीब 70 प्रतिशत मामलों के लिए मधुमेह और उच्च रक्तचाप जिम्मेदार है. युवाओं में भी खराब जीवनशैली से होने वाली ये समस्याएं बढ़ रही हैं.’’ डॉ वर्मा के मुताबिक उनके पास एक मामला आया जिसमें एक युवती में अनियंत्रित उच्च रक्तचाप के कारण किडनी निष्क्रिय होने की वजह से किडनी प्रतिरोपण करना पड़ा.

न करें अनदेखी

25 वर्षीय युवती को सिर दर्द, कम भूख लगने, चक्कर आने और पैर में सूजन बढ़ने-घटने जैसे लक्षणों से दो चार होना पड़ रहा था. दो साल तक इन लक्षणों की अनदेखी की गई. एक दिन महिला को सांस लेने में बहुत परेशानी की शिकायत के साथ इमरजेंसी में लाना पड़ा. उसे उच्च रक्तचाप और किडनी निष्क्रिय होने का पता चला.

किडनी के फेल होने के मुख्य कारण

फोर्टिस नोएडा के नेफ्रोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ मनोज कुमार सिंघल ने कहा कि उच्च रक्तचाप और डायबिटीज किडनी के निष्क्रिय होने के मुख्य कारण हैं, वहीं उच्च रक्त चाप होने पर किडनी पर दुष्प्रभाव पड़ने की आशंका भी सर्वाधिक होती है. उन्होंने भी इसके लिए बदलती जीवनशैली को ही जिम्मेदार ठहराया.

हाई बीपी एक ‘साइलेंट’ बीमारी

डॉ सिंघल ने बातचीत में कहा कि उच्च रक्तचाप का पता चलने पर किडनी की भी जांच करानी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हाई बीपी एक ‘साइलेंट’ बीमारी है जिसमें कई बार कोई लक्षण नहीं होने से इसका पता नहीं चल पाता. कम उम्र में किडनी खराब होने के मामले सामने आने का जिक्र करते हुए डॉ सिंघल ने बताया कि उनके पास 14-15 साल की उम्र तक का रोगी आ चुका है जिसकी डायलिसिस करनी पड़ी. उन्होंने कहा कि अगर समय पर बीपी की समस्या होने का पता चल जाए और इलाज हो जाए तो आगे गंभीर बीमारी होने से रोका जा सकता है.

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