नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद स्थित नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) के 9 अगस्त से आदेश पर रोक लगाई. ट्राब्यूनल ने जेपी बिल्डर को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जेपी, आरबीआई व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी. दरअसल जेपी इन्फ्राटेक के खिलाफ दिवालिया और ऋण शोधन अक्षमता कानून के तहत कार्रवाई चल रही थी. याचिका में इस कानून को भी चुनौती दी गई है. इस मामले में याचिकाकर्ता खरीदारों ने आरोप लगाया है कि बिना गारंटी वाले देनदार की वजह से न तो घर मिलेगा और न ही धन वापस मिलेगा. मामले में 24 फ्लैट मालिकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में उनके वकील अजीत कुमार सिन्हा पेश हुए. उन्होंने कोर्ट के सामने मुद्दा उठाते हुए कहा कि जेपी इन्फ्राटेक की 27 रेजिडेंशल स्कीम में करीब 32 हजार लोगों ने फ्लैट बुक किए हैं. लेकिन कंपनी के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई शुरू की गई है.

इस तरह उनका पैसा डूबने के कगार पर पहुंच गया है. मौजूदा दिवालिया कानून के तहत जब प्रक्रिया शुरू होगी तो पहले उन देनदारों का आर्थिक हित प्रोटेक्ट किया जाएगा, जो गारंटी वाले देनदार हैं. फ्लैट खरीदार तो बिना गारंटी वाले देनदार हैं, उन्हें कानून के तहत कुछ भी नहीं मिलने वाला है. अगर दिवालिया कानून के तहत मामला पेंडिंग हो तो उपभोक्ता अदालत के फैसले के बावजूद उसे लागू नहीं किया जा सकेगा. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि खरीदारों के हितों को सुरक्षित किया जाए.

फ्लैट खरीदारों ने इलाहाबाद स्थित नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल के आदेश पर रोक की मांग की है. ट्राब्यूनल ने जेपी बिल्डर को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की थी. याचिकाकर्ता एनआरआई का कहना है कि वह केंद्र सरकार के कहे के मुताबिक इतनी जल्दी क्लेम फॉर्म जमा नहीं कर सकते. केंद्र ने 24 अगस्त तक क्लेम फॉर्म जमा करने को कहा था.

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