24 जून को पुलिसिया एनकाउंटर में मारा गया आनंदपाल सिंह राजस्‍थान में नागौर के लाडनूं तहसील के गांव सांवराद का रहने वाला था. 2006 में उसने अपराध की दुनिया में दस्‍तक दी और देखते ही देखते राजस्‍थान के सबसे बड़े गैंगस्‍टरों में शामिल हो गया. दरअसल इसकी पृष्‍ठभूमि करीब दो दशक पुरानी है.

राजू ठेहट गैंग
1997 में दो गैंगस्‍टर बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट शराब के धंधे से जुड़े. 2005 में ठेके पर बैठने वाले एक सेल्‍समैन विजयपाल की राजू ठेहट से कहासुनी हो गई. इसका नतीजा यह हुआ कि राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी.

बलबीर गैंग
विजयपाल रिश्ते में बलबीर का साला लगता था. उसकी हत्‍या के बाद बलबीर और राजू की दोस्‍ती, दुश्‍मनी में बदल गई. बलबीर ने राजू का साथ छोड़कर अपना अलग गैंग बना लिया. इसी गैंग में 2006 में आनंदपाल सिंह शामिल हुआ और उसके बाद इस गैंग का दबदबा बढ़ता चला गया.

आनंदपाल सिंह
अपराध जगत में शामिल होने के साथ ही उसने अपने क्राइम ग्राफ को आगे बढ़ाया. सबसे पहले 2006 में राजस्थान के डीडवाना में जीवनराम गोदारा की गोलियों से भूनकर हत्या करने के बाद वह सुर्खियों में आया. सीकर के गोपाल फोगावट हत्याकांड को भी आनंद पाल ने ही अंजाम दिया. गोदारा और फोगावट की हत्या करने का मामला समय-समय पर विधानसभा में गूंजता रहा है. 29 जून 2011 को आनंद पाल ने सुजानगढ़ में भोजलाई चौराहे पर गोलियां चलाकर तीन लोगों को घायल कर दिया. आनंदपाल लूट, डकैती, गैंगवार, हत्या जैसे दो दर्जन मामलों में वांछित था. आनंदपाल जब जेल में बंद था तब तीन सितंबर, 2015 में पेशी के दौरान नशीली मिठाई खिलाकर वह जेल से भाग गया था. उसके बाद इसी 24 जून को पुलिस एनकाउंटर में आनंदपाल मारा गया.

आनंदपाल के बारे में कहा जाता है कि वह ग्‍लैमर पसंद शख्‍स था. महंगे कपड़े और सनग्‍लास पहनना उसे पसंद था. उसका एक फेसबुक पेज भी था. इस पर उसके कई फॉलोअर भी थे.

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