राम नाम का वैज्ञानिक महत्त्व

चित्रकूट– राम धाम आश्रम से शिवरामपुर जिला चित्रकूट उत्तर प्रदेश निवासी व्यास पीठाधीश्वर स्वामी कमल दास जी बापू ने बताया है कि राम नाम को इतना अधिक महत्त्व क्यों दिया जाता है क्या नाम के कारण राम नाम की इतनी महिमा है या कोई और कारण है |राम नाम से कैसे शक्ति मिलती है |क्या अयोध्या के राजा श्री राम के विष्णु अवतार होने से राम नाम में शक्ति होती है या कोई और रहस्य है |परसुराम भी अवतार थे और परसु धारण करने के कारण परसुराम नाम पड़ा अन्यथा उनका भी नाम राम ही था तो क्या उनसे भी राम की शक्ति का कोई सम्बन्ध है |अयोध्या के राजा राम के जन्म से पूर्व ही नारद ने बाल्मीकि को राम नाम का उपदेश दे दिया तो वह राम कौन हैं ?गृहस्थ हिन्दू की मृत्यु बाद राम नाम सत्य है ही क्यों बोला जाता है कृष्ण नाम या विष्णु नाम या शिव नाम सत्य है क्यों नहीं बोला जाता,राम ध्वनि के उच्चारण से नकारात्मक शक्तियों को क्यों परेशानी होती है |क्या आपको इन सब प्रश्नों के उत्तर मालूम हैं ? नहीं तो हम आपको बताते हैं –

राम नाम की महिमा अपरम्पार है |राम भगवान् तो हैं ही जिनके प्रति श्रद्धा की शक्ति हमें बल और सुरक्षा तो देती ही है किन्तु राम नाम के उच्चारण से ऐसी ऊर्जा उत्पन्न होती है जो हमारा तारण यानी उद्धार कर देती है |श्रद्धा तो पत्थर को भी भगवान् बना देती है किन्तु वास्तव में राम नाम के उच्चारण से हमारे शरीर और वातावरण पर उर्जात्म्क रूप से क्या प्रभाव पड़ता है हम इस विडिओ में विचार करेंगे |हमारे हिन्दू जन मानस में राम का नाम इतना अधिक समाया हुआ है की अक्सर लोगों के नाम में राम जुड़ा मिलता है या स्वतंत्र रूप से उनका नाम राम होता है |हमारे भगवान राम तो हैं ही राम का नाम यहाँ तक जुड़ा है की जब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसे ले जाते समय भी राम नाम सत्य है बोलते हैं या कहते हैं की अमुक का राम नाम सत्य हो गया |

इस नाम की इतनी महिमा क्यों है ,क्या यह मात्र नाम ही है या मात्र भगवान को याद करने का तरीका है या इसके पीछे कोई विज्ञानं है ,इसका कोई वैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ता है हमारे शरीर पर या हमारे वातावरण पर या हमारे अनंत यात्रा पर |क्यों अंत समय में लोग कहते हैं की राम राम बोलो ,राम नाम जपो ,अन्य कोई नाम क्यों नहीं कहते |हमारा आज का विडिओ इसी गंभीर विषय पर आधारित है जिसके बारे में अधिकतर लोग नहीं सोचते |हमने इस पर गहन चिंतन किया है और चूंकि हम तंत्र के साधक है और थोडा विज्ञानं भी समझते हैं अतः इस विषय को हमने जितना समझा है वह आपको बताने का प्रयत्न कर रहे |इस विषय पर हमें किसी शास्त्र में ,किसी किताब में ,किसी कहानी में कोई संतोषजनक जानकारी नहीं मिली जिन्हें वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया जा सके जबकि यह प्रश्न मेरे मन में वर्षों से घूम रहा है |जो हमने समझा उसे अपने पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे ,इसे हमारे मौलिक विषार के रूप में समझें |

हम सभी जानते हैं की राम चन्द्र जी अयोध्या के राजा थे जो राजा दशरथ के पुत्र थे |इन्हें विष्णु अवतार माना जाता है और यह भगवान् रूप में हमारे पूज्य हैं आराध्य हैं ,किन्तु केवल यही राम नहीं हुए हैं |इनसे भी पहले अनेक राम हुए हैं जैसे परसुराम ,जिनको परसु उठाने के कारण परसुराम कहा गया किन्तु इनका भी नाम राम ही था |परसुराम भी विष्णु अवतार ही कहे जाते हैं जबकि शिवभक्त थे और शिव के विशेष कृपा पात्र भी |राम नाम उससे भी पहले से चला आ रहा |इस विडिओ में हम राम नाम की महिमा ,उसके वैज्ञानिक प्रभाव ,वातावरण और शरीर पर इसका प्रभाव ,राम नाम सत्य है के उच्चारण पर ध्यान देते हैं |

हम सभी ॐ के बारे में जानते हैं और जानते हैं की यह ब्रह्माण्ड की मूल ध्वनि है |इसके प्रभाव भी हम जानते हैं और यह भी जानते हैं की ॐ का उच्चारण सभी धर्मों में किसी न किसी रूप में होता है |इस विषय पर हमने पहले ही कई विडिओ प्रकाशित किये हैं |इस ॐ से ही सम्बन्धित है राम शब्द |ॐ निर्गुण निराकार परम ब्रह्म का प्रतिनिधित्व करता है अर्थात जो सार्वभौम ऊर्जा है वह ॐ से ध्वनित होती है |इसका सगुण रूप राम है |ॐ के गुंजन में मूल ध्वनीं ह्रदय में और प्रथम ध्वनि आज्ञा और सहस्त्रार चक्र पर ध्वनित होती है |यह ह्रदय से सहस्त्रार तक ही अधिक प्रभावित करता है और मोक्ष देता है यद्यपि यह प्रभावित पूरे शरीर और चक्रों को करता है |जब हम राम का उच्चारण करते हैं तो यह ह्रदय में ही मूलतः ध्वनित होता है जबकि इसकी प्रथम ध्वनि मणिपुर चक्र से उठती है |ह्रदय और आत्मा का आधिपत्य विष्णु के पास है जबकि मणिपुर चक्र लक्ष्मी ,अन्नपूर्ण का है अतः यह राम शब्द विष्णु को इंगित करता हुआ विष्णु -लक्ष्मी का शब्द हुआ |विष्णु एक सगुण स्वरुप हैं अतः राम शब्द सगुण ध्वनि हुई |एक बात और कुंडलिनी चक्र की स्थिति के अनुसार ह्रदय का चक्र अनाहत है जिसका संचालन विष्णु और उनकी शक्ति भुवनेश्वरी द्वारा होता है |इस चक्र से ही समस्त भौतिक जीवन का संचालन है और यही राजसी गुणों का उत्पन्न कर्ता है | व्यक्ति जन्म से मृत्यु तक मूलाधार से अनाहत तक की ही क्रियाओं में अधिकतर घूमता रहता है और समस्त भौतिक जीवन अनाहत तक ही है ,इसके ऊपर व्यक्ति विरक्त होने लगता है अतः राम नाम का प्रभाव समस्त भौतिक जीवन पर पड़ता है |विष्णु ही मुक्तिदाता हैं अतः राम नाम से मुक्ति भी मिलती है |

अब हम ध्वनि विज्ञानं की ओर आते हैं |आप सब ॐ ध्वनि के गुण और लाभ जानते हैं किन्तु बीज मन्त्रों में एक बीज रं होता है |यह बीज मणिपुर चक्र का बीज है और इसके उच्चारण से मणिपुर चक्र का जागरण होता है |मणिपुर चक्र ,अनाहत के नीचे का चक्र है जिसकी अधिष्ठात्री लक्ष्मी होती हैं |यह चक्र जीवन का शुद्ध रूप से भौतिक चक्र है जो शरीर का संचालन करता है तथा समस्त शरीर के भौतिक उपभोग का नियमन करता है |जब आप राम का उच्चारण करते हैं तो यह प्रकारान्तर से रं का उच्चारण होता है और यह आपके मणिपुर चक्र पर प्रभाव डालता है |एक बात और आप जानिये शायद न जानते हों ,रं बीज को तंत्र और मंत्र विज्ञानं में अग्नि बीज भी कहा जाता है अर्थात जहाँ यह लग जाता है वहां की प्रकृति अग्नि से सम्बन्धित हो जाती है |मणिपुर भी जठराग्नि से जुड़ा है अर्थात राम शब्द इस तरह भी भौतिक जीवन से जुड़ता है |

जब आप राम शब्द का उच्चारण करते हैं तो यह मणिपुर और अनाहत पर प्रभाव डालता है अर्थात लक्ष्मी और विष्णु के चक्रों पर जो पालन पोषण की शक्तियाँ है और मुक्ति दाता भी है |राम के उच्चारण से मणिपुर और अनाहत शसक्त होने से भौतिक जीवन ,शारीरिक स्थिति तो अच्छी होती ही है मुक्ति मार्ग भी खुलता है क्योंकि विष्णु की कृपा मिलती है |इस शब्द के उच्चारण से तीव्र सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है जिससे नकारात्मक शक्तियों ,भूत -प्रेत को कष्ट होता है |इसकी ध्वनि भूत -प्रेत को पीड़ित करती है और वह उच्चारण कर्ता से दूर भागते हैं |राम के उच्चारण से जठराग्नि पर भी लाभदायक प्रभाव पड़ता है जिससे आरोग्य सुख बढ़ जाता है |सात्विकता का संचार होता है जिससे भौतिकता से कष्ट की संभावना कम होने लगती है |यह ऐसा शब्द है जो उपर के चक्रों तथा नीचे के चक्रों को भी प्रभावित करता है अर्थात इससे आप मोक्ष -मुक्ति भी पा सकते हैं और भौतिक सुख भी पा सकते हैं |

मणिपूर चक्र से साहस और उत्साह की मात्रा और बढ़ जाती है । संकल्प दृढ़ होते हैं और पराक्रम करने के हौसले उठते हैं | मनोविकार स्वयंमेव घटते हैं और परमार्थ प्रयोजनों में अपेक्षाकृत अधिक रस मिलने लगता है | यह प्रसुप्त पड़ा रहे तो तृष्णा, ईर्ष्या, चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह, आदि कषाय-कल्मष मन में लड़ जमाये पड़े रहते हैं |राम नाम से इनसे मुक्ति मिलती है |इस चक्र के जागरण पर सर्वसिद्धिदायी पातालसिद्धि भी प्राप्त होती है। उसके सब दुःखों की निवृत्ति होकर सकल मनोरथ पूर्ण होते हैं। वह काल को भी जीत लेता है अर्थात् काल को भी टाल सकता है। ऋषि कागभुशंडि जी ने काल की वंचना करके सैंकड़ों युगों की परम्परा देखी थी। चांगदेवजी ने इसी सिद्धि के बल पर 1400 वर्ष का आयुष्य प्राप्त किया था।

जिनको आत्मसाक्षात्कार हो गया ऐसे महापुरूष भी चाहें तो इस सिद्धि से दीर्घजीवी हो सकते हैं |व्यक्ति देवों के द्रव्य भंडारों को और दिव्य औषधियों तथा भूमिगत गुप्त खजानों को भी देख सकता है।इस चक्र को लक्ष्मी और अन्नपूर्णा का चक्र भी कहा जाता है और कुंडलिनी के यहाँ पहुँचने पर या सीधे इस चक्र के जागरण पर व्यक्ति अन्नदाता ,ऐश्वर्यशाली ,सम्पत्तिवान ,समृद्ध बनता है |उसके क्रोध ,उग्रता और अति चंचलता का शमन होता है तथा व्यक्ति गम्भीर ,लक्ष्य केन्द्रित ,आत्मनिर्भर ,बहुतों का उपकार करने वाला बनता है |इस प्रकार राम शब्द के उच्चारण से आप रं बीज का उच्चारण करते हैं जिससे मणिपुर चक्र प्रभावित होता है |इसी के उच्चारण से हनुमान सप्त चिरंजीवी में गिने जाते हैं अमर होकर और सर्व शक्तिमान होते हैं |बाल्मीकि जी श्री राम के जन्म लेने से पहले ही राम नाम के जप से महाज्ञानी बन गए |

आप जानते हैं की मृत्यु के बाद व्यक्ति को जलाने ले जाते समय ही राम नाम सत्य है बोलते हैं ,अन्य स्थितियों में नहीं बोलते अर्थात समाधि देने या जल प्रवाह करने या दफनाने को ले जाते समय नहीं बोलते |केवल जलाने ले जाते समय राम नाम सत्य है बोलने का एक अर्थ है की अंतिम सत्य अग्नि ही है अर्थात जलना ही है अर्थात रं बीज जो की अग्नि बीज है उससे इंगित करते हुए कहा जाता है की राम या रं ही सत्य है अग्नि ही सत्य है |जीवन का यथार्थ यही है |दूसरा यह भी की राम ही विष्णु हैं और विष्णु ही अंतिम सत्य है ,अंततः विष्णु शरण में ही जाना है |ध्यान दीजिये वैदिक देवताओं में विष्णु ही पालन हार हैं और उन्हें ही मुक्तिदाता माना जाता है ,सभी आर्य शुरू में वैष्णव अर्थात विष्णु के ही उपासक थे अतः राम नाम सत्य है विष्णु को इंगित करता है ,जो मुक्ति देते हैं |राम नाम सत्य है गृहस्थ व्यक्ति के लिए ही बोला जाता है और गृहस्थ जीवन का सम्बन्ध मणिपुर चक्र से होता है |राम उच्चारण से नकारारात्म्क शक्तियाँ दूर रहती है अतः मृतक की आत्मा अंतिम क्रिया तक किसी अन्य शक्ति के अधीन नहीं जा पाती और क्रिया बाद मुक्ति यात्रा पर निकलती है |

कहा जाता है की राम से भी बड़ा राम का नाम है |भगवान राम के जन्म से पहले भी राम नाम ईश्वर के लिए बोला जाता था |राम के नाम से शाति और सुरक्षा मिलती है |राम शब्द के उच्चारण से नकारात्मक शक्तिया दूर भागती हैं अतः शव में कोई नकारात्मक शक्ति प्रवेश नहीं कर पाती और उसकी तथा उसे ले जाने वालों की सुरक्षा राम नाम से होती है |राम नाम ईश्वर का है अतः राम नाम सत्य का अर्थ है ईश्वर ही मात्र सत्य है बाकी सब मिथ्या है |यही उच्चारित करते हुए लोग चलते हैं ताकि सच लोग और परिवार के लोग समझें और कर्म सुधार कर भगवान के प्रति समर्पित हो जीवन जीते हुए मुक्ति का प्रयास करें |इस लेख में व्यक्त विचार हमारे निजी विचार हैं जिनका किसी कहानी कथा मिथक से कोई सम्बन्ध नहीं |लोग और कथाएं क्या कहती हैं हमें नहीं पता ,हमने अपने अनुभव के आधार पर मात्र विचार रखे हैं |

कमल दास बापू की रिपोर्ट चित्रकूट धाम से शिवरामपुर उत्तर प्रदेश

updated by gaurav gupta 

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