भागलपुर ।मशहूर सबौर के ममलखा गाँव मे ऐतिहासिक काली मां की मेले का आयोजन होता आया है। इस मां काली के मंदिर का निमार्ण लगभग तीन सौ वर्षों पूर्व हुआ होगा ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है क्यो कि यहां के वृद्ध व्यक्ति से पूछताछ से यह पता चलता है की उसे तो पता ही नही है और यह भी पूछा गया कि आपके दादा जी भी तो होंगे तो उससे भी तो पूछे होंगे तो वह वृद्ध व्यक्ति बोला कि पूछे थे पर उसे भी पता नही था और बताया गया कि यहाँ पूर्वजो के समय से ही मेला लगते आया है।
मां काली मंदिर की विशेषता
यह है कि हर मनोकामना पूरा होता है और प्रत्येक वर्ष 1000 की संख्या ने पाठा यानी बकरे की बली मां काली को चढ़ाये जाते हैं और सोना का भी हार माणिक्य और बहुत सारी समान चढ़ाये जाते है जब से मां काली की पूजा होती है तब से ही भक्तो की लाइन लगी रहती है और यहां मा काली मात्र 24 घंटा ही अपने स्थान पर रहती है और एक दिन में प्रसाद के रूप में मात्र एक मिठाई लेती है और एक घर भर जाता है। यहां पर फुटबॉल का टूर्नामेंट का भी आयोजन किया जाता है जो लाखो दशर्क देखने आते हैं। बिहार के इस अलौकिक काली मंदिर की जितनी विशेषता बताया जाए कम है। ः रिपोर्ट चंदन कुमार, भागलपुर, updated by gaurav gupta

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