रंग-बिरंगे चित्रों में सजी कृष्ण की पोशाक
–बाल सखा कृष्ण की मुरली सजाने पहुँचे बाल-कलाकार
–कान्हा ने दी बच्चों को बाल दिवस की बधाई

बच्चों के मन की कल्पनाओं की उड़ान दूर तक जाती है। इसी उड़ान को गति देने का काम किया है इस्कॉन द्वारका दिल्ली मंदिर ने। रविवार की शाम बाल दिवस के अवसर पर मंदिर हॉल में एक चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। ‘ओपन टू ऑल किड्स एंड टीनएज’ ड्राइंग कंपीटिशन में छोटे बच्चों से लेकर किशोरावस्था तक के सभी बच्चों ने भाग लिया। प्रतियोगिता का थीम कृष्ण भगवान की पोशाक से संबंधित था।
बच्चों ने रंग-बिरंगी, मनमोहक, विभिन्न आकार की पोशाकें डिजाइन कीं। इसमें अपनी प्रतिभा, स्कूली अनुभव और संस्कारों के आधार पर हर बच्चे ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया। कुछ बच्चों ने इस तरह की प्रतियोगिता में पहली बार भाग लिया। उनके लिए यह बिलकुल नया अनुभव था। ज्यादातर बच्चे अपने प्रिय सखा कृष्ण के साथ बाल दिवस मनाकर प्रसन्न नज़र आए। उन्होंने कहा कि हमने अब तक प्रकृति, पर्यावरण और प्रदूषण और ट्रैफिक जैसे मुद्दों पर कई बार ड्राइंग बनाई है, पर कृष्ण की पोशाक बनाकर उसमें रंग भरने का मौका पहली बार मिला है। कृष्ण को मोर के संग खेलना, मुरली बजाना और नीला-पीला रंग पहनना पसंद था। इसलिए हमने भी पोशाक का डिजाइन बनाने में इन्हीं बातों का ध्यान रखा है।
मंदिर से जुड़े कार्यक्रम के प्रबंधक ने बताया कि ऐसे आयोजन बच्चों को एक सकारात्मक दिशा देने का काम करते हैं। सर्वोच्च भगवान होने के बाद भी सुदामा की तरह बच्चे कृष्ण को अपना सखा मानते हैं। इन्हीं मैत्रीपूर्ण संबंधों के साथ जब वे कैनवास पर अपने मनोभावों को उकेरते हैं तो उनकी निश्चल सोच उजागर होती है। उनके अंदर अपने अन्य मित्रों के प्रति प्रेमभाव पैदा होता है। क्रोध और द्वेष की भावना कम हो जाती है। मंदिर के माध्यम से हम बच्चों को यही वातावरण प्रदान करना चाहते हैं। सही मायनों में इसका श्रेय उनके अभिभावकों को जाता है, क्योंकि माता-पिता ही बच्चों में अच्छे संस्कारों का दायित्व निभाते हैं। मंदिर सिर्फ उन्हें एक मंच प्रदान करने का काम करता है।
पोशाकों में रंग भरने के साथ-साथ उन्होंने मुरली प्रतियोगिता में अपने बाल सखा कृष्ण भगवान की मुरली को भी सजाया। मंदिर द्वारा उपलब्ध कराए गए साज-सज्जा के सामानों को लेकर उनमें नया उत्साह देखने को मिला। कुछ बच्चे मुरली को सजाते-सजाते बीच-बीच में उसे बजाने का आनंद भी ले रहे थे। मानो गोकुल की गलियों में कोई कृष्ण को पुकार रहा हो। कुछ बच्चों ने मंच पर नृत्य का प्रदर्शन करके भी बाल दिवस को मनाया तो कुछ कान्हा की गाय के साथ सेल्फी प्वाइंट पर खड़े होकर फोटो खिंचवा कर इस दिन को यादगार बनाया। अंत में सभी ने स्वादिष्ट प्रसाद ग्रहण कर अपनी खुशी को व्यक्त किया।

वंदना गुप्ता

updated by gaurav gupta 

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