AATV – 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पारंपरिक मानी जाने वाली अमेठी और रायबरेली की सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) गांधी परिवार के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारने पर विचार कर रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बीसपी सुप्रीमो मायावती के करीबी नेता ने इस बात की पुष्टि भी की है। बीएसपी की इस योजना के पीछे वजह समाजवादी (एसपी) पार्टी के साथ उसका गठबंधन बताया जा रहा है। समाजवादी पार्टी 2004 से अमेठी और 2009 से रायबरेली में लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतार रही है। कहा जा रहा है कि ऐसा करके दोनों पार्टियां भारतीय जनता पार्टी के लिए गड्ढा खोद रही हैं ताकि वोट न बंटने की सूरत में कांग्रेस की जीत के साथ बीजेपी को मुंह की खानी पड़े। बीजेपी के नेता ने भी यह स्वीकार किया है कि अमेठी में त्रिकोणीय लड़ाई सत्ताधारी पार्टी को फायदा पहुंचाएगी।बीजेपी ने रायबरेली में 1996 और 1998 में लोकसभा की सीट जीती थी। लेकिन बाद में कांग्रेस का यहां दबदबा रहा, यहां तक की प्रदर्शन के मामले में बीएसपी बीजेपी से आगे रही। 2009 के लोकसभा चुनाव में अमेठी और रायबरेली में बीएसपी का वोट शेयर क्रमश: 14 और 16 फीसदी रहा था, जबकि बीजेपी का 4 और 6 फीसदी रहा था। 2004 में अमेठी में बीएसपी का वोट शेयर 17 फीसदी रहा था और समाजवादी पार्टी को 19 फीसदी वोट मिले थे। 2014 में बीजेपी ने अमेठी से स्मृति ईरानी को उम्मीदवार बनाया, यहां और रायबरेली से बीजेपी के वोट शेयर में क्रमश: 34 और 21 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

सूत्रों की मानें तो विपक्षी पार्टियां पहले से ही सीट शेयरिंग के विकल्प पर काम कर रही हैं। कांग्रेस के एक नेता ने कहा- ”बीएसपी और एसपी अपने पिछले प्रदर्शन के आधार पर तय करेंगी की कहां से चुनाव लड़ना है जबकि कांग्रेस को 10-12 सीटें दी जाएंगी जहां यह मजबूत स्थिति में है। इनमें निश्चित तौर पर अमेठी और रायबरेली की सीटें शामिल होंगी।” कांग्रेस अपने सात विधायकों के द्वारा बीएसपी उम्मीदवार के लिए वोट कर पहले राज्यसभा चुनाव में और फिर परिषद की चुनावों में समर्थन करती रही है। पिछले दिनों बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा का चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस को धन्यवाद कहा था। अनुभवी आँखें न्यूज़

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