जानकीनगर(पूर्णियां) – रामपुर तिलक पंचायत में मां शारदे की पूजा विभिन्न जगह किया जा रहा है जिसमें रामपुर तिलक हाईस्कूल, राधे मरर टोल, पंचायत भवन, राजा सर एवं क्षेत्र के अनेकों जगह मां शारदे की पूजा अर्चना किया जा रहा हैl रामपुर तिलक के लोग न केवल मां शारदे की आराधना करते हैं बल्कि उत्सव भी मनाते हैं। रामपुर तिलक विद्यालय के शिक्षक सतीश कुमार, शिक्षिका बंदना कुमारी, लालमोहन आनंद एवं रामपुर तिलक के कुछ बुद्धिजीवी व्यक्ति बताते हैं कि पहली बार विद्यालय जाने वाले बच्चों को भी कलम−दवात से लिखना मां शारदे की कृपा से ही सिखाया जाता है। बच्चे मां सरस्वती की पूजा करते हैं क्योंकि वह ज्ञान की विपुल भंडार हैं। विद्या की तो वे देवी हैं। इस अवसर पर स्कूलों और कालेजों में भी उत्सव मनाया जाता है। बड़े शहरों और महानगरों में तो यह दिखता नहीं मगर कस्बों और गांवों में आज भी स्कूलों में बसंत पंचमी मनाई जाती है। गली मुहल्लों में मां सरस्वती की मूर्ति पंडाल में सजा कर उनकी पूजा की जाती हैl मां सरस्वती को बुद्धि और विद्या की देवी माना जाता है। इस महीने के दौरान मौसम काफी सुहावना हो जाता है। इस दौरान न तो ज्यादा ही गर्मी होती है और न ही ज्यादा ठंड होती है और यही वजह है कि बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की खास पूजा की जाती है। इस दिन लोग अलग-अलग मूहर्त पर पूजा-पाठ करते हैं।
ज्योतिष के मुताबिक बसंत पंचमी का दिन नए काम की शुरुआत के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना भी शुभ होता है। इतना ही नहीं इस दिन पीले पकवान बनाना भी काफी अच्छा माना जाता है। हिंदु पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की। उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई। इसीलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया। तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। वह दिन बसंत पंचमी का था। इसी वजह से हर साल बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी। स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी यह पूजा की जाती है। अगर आप घर में मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
सुबह-सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद पूजा के समय मां सरस्वती की वंदना करें। पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें और बच्चों को भी पूजा स्थल पर बैठाएं। बच्चों को तोहफे में पुस्तक दें। इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें। वांलिटयर सदस्य- लालमोहन आनंद, updated by gaurav gupta

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