* रंजीत राणा के साथ सरफराज खान की रिपोर्ट

विशेष:- गोपों के गढ़ में दो बड़े दिग्गजों को जोरदार झटका, लालू के साथ आकर भी क्यों नहीं जीत पाए शरद यादव और बाहुबली पूर्व सांसद पप्पू यादव के हार की ये रही वजहें……

पड़ताल:- गोपों के गढ़ मधेपुरा में इस बार गैर-यादव जातियों के वोट ने निर्णायक भूमिका निभाई। गैर यादव जातियों के वोट एनडीए की ओर से जेडीयू प्रत्याशी दिनेशचंद्र यादव को मिलते रहे।
मधेपुरा लोक सभा क्षेत्र से रिपोर्ट:- लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे 23 मई को घोषित हुए, बीजेपी अकेले ही पूर्ण बहुमत से अधिक सीटें (303 सीट) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बंपर जीत प्राप्त किया। बिहार के मधेपुरा लोक संसदीय सीट जो देश के हाईप्रोफाईल और बेहद हॉट सीट में से एक था, बिहार के मधेपुरा संसदीय सीट से जदयू के दिनेश चंद्र यादव ने देश के सबसे पुराने सांसद, प्रखर समाजवादी नेता शरद यादव व पप्पू यादव को भी पटखनी देकर विजय हासिल की है।
मालूम हो कि मधेपुरा के मतदाता को ढाई दशक से लालू – शरद की राजनैतिक दुश्मनी की आदत सी हो गई थी। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव खुद लालू की पार्टी का चुनाव चिन्ह लालटेन लेकर इस बार घूमे लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। बीते चुनावी के दौरान शरद यादव के पक्ष में मधेपुरा में महीना भर डेरा डालने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनकी शिकस्त चाहते थे और एक वक्त शरद यादव के सबसे विश्वासपात्र दिनेशचंद्र यादव, जदयू के टिकट पर विरोध में चुनाव लड़े और जोरदार जीत हासिल की है।
गौरतलब है कि बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती रही है। गोपों के सर्वमान्य माने जाने वाले आरजेडी चीफ लालू प्रसाद का ये गढ़ रहा है, तो जाप सुप्रीमों पप्पू यादव और शरद यादव के बीच की सियासी जंग में इस बार दोनों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन इस बार दोनों दिग्गजों को निराशा हाथ लगी।
बताते चलें कि 2008 के परिसीमन के बाद मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें यथा – महिषी, सहरसा, सोनवर्षा (सु) , मधेपुरा, बिहारीगंज और आलमनगर सीटें आई। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 पर जेडीयू और 3 पर आरजेडी की जीत हुई थी। बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट इसलिए भी हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है, क्योंकि यह मंडल आयोग के अध्यक्ष रहे बी. पी. मंडल का पैतृक जिला है। आरजेडी चीफ लालू प्रसाद दो बार मधेपुरा सीट से लोकसभा चुनाव जीते, जबकि चार बार शरद यादव यहाँ से जीतने में कामयाब रहे। मधेपुरा से 2014 में पप्पू यादव ने आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीते। 2014 में लालू यादव के बदले स्थानीय बाहुबली नेता पप्पू यादव ने राजद के टिकट पर शरद यादव को हराया। बीजेपी के विजय कुमार सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे। 2019 में NDA की ओर से जदयू के दिनेशचंद्र यादव ने जीत हासिल की।

*मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास:-
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⇒ ब्रिटिश हुकूमत के दौरान 1924 में हुए प्रथम बिहार-उड़ीसा विधान परिषद् चुनाव में (तत्कालीन मधेपुरा-सहरसा अर्थात भागलपुर नॉर्थ) से महान स्वंत्रता सेनानी और मुरहो के जमींदार स्व.रासबिहारी लाल मंडल के बड़े सुपुत्र भुवनेश्वरी प्रसाद मंडल विजयी हुए थे।

⇒ 1937 के बिहार विधान परिषद् के चुनाव में स्व.रासबिहारी लाल मंडल के द्वितीय सुपुत्र कमलेश्वरी प्रसाद मंडल निर्वाचित हुए थे।

⇒ स्वतंत्र भारत में 1952 में हुए प्रथम चुनाव में भागलपुर नॉर्थ या भागलपुर -पूर्णियां से तीन उम्मीदवार निर्वाचित हुए। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के आचार्य जे बी कृपलानी, कांग्रेस के अनूप लाल मेहता और रिजर्व सीट से मुरहो निवासी सोशलिस्ट पार्टी से किराय मुशहर।

⇒ 1957 में इस क्षेत्र का नाम सहरसा हो गया और कांग्रेस के ललित नारायण मिश्र और रिजर्व से कांग्रेस के ही भोला सरदार विजयी रहे। updated by gaurav gupta

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