बनमनखी (पूर्णिया) भक्त प्रहलाद की भूमि बनमनखी आज पर्यटन विभाग की ओर से उपेक्षित है। बनमनखी स्थित धरहरा में हिरणाकश्यप की नगरी का अवशेष संरक्षण में है। प्रहलाद खंभे की पूजा आस्था का केन्द्र है। यहां पर्यटन उद्योग विकास का मूंह ताक रही है। दरअसल प्राचीन कथाओं के अनुसार एक कहानी बहूप्रचलित है कि कभी यह भूमि राजा हिरणाकश्यप की नगरी हुआ करती थी। कहते हैं उनका एक पुत्र प्रहलाद था। भगवान् विष्णु का परम भक्त। लगे हाथ आपको बता दें कि होली रंगो का त्योहार है और होलिका दहन भी हम करते हैं। जिस होलिका का दहन हम करते हैं वह होलिका राजा हिरणाकश्यप की बहन थी। कहते हैं कि हिरणाकश्यप खुद को ही भगवान् मानता था। जबकि विष्णु भक्त प्रहलाद उसे पिता से उपर कुछ भी नहीं। कहते हैं कि हिरणाकश्यप को यह बात अखरती थी कि उसके राज्य में सब उसे भगवान् मानते हैं पर उसका ही अपना बेटा उसे भगवान् नहीं मानता। हिरणाकश्यप ने अनेक प्रकार से अपने बेटे को समझाया पर जब वह नहीं माना तो मौत की सजा सुनाई। कहानियों के अनुसार कई तरह से उसे मारने का प्रयास किया गया परन्तु सफलता नहीं मिली। इसी क्रम में अपनी बहन होलिका को कहा कि प्रहलाद को लेकर अग्नि में चला जाय। होलिका प्रहलाद को लेकर वरदान प्राप्त शाल ओढ कर अग्नि में चली गई पर प्रभु की कृपा से शाल हवा से उड गई। होलिका जल गई और प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ। तभी से होलिका दहन की प्रथा आरंभ हो गया। हिरणाकश्यप बहन की मरने से विचलित हो गया और प्रहलाद को एक खंभे से बांध दिया और कहा कि अगर तुम्हारा भगवान् हैं तो बुलाओ वो तुम्हे बचाए। बस फिर क्या था प्रहलाद ने भगवान् श्री विष्णु को याद किया प्रभु भक्ति के अधिन होते हैं। प्रहलाद जिस खंभे से बंधे थे उसी को फाड़कर अवतरित हो गए। कहते हैं कि भगवान् नर और सिंह का रूप धारण कर हिरणाकश्यप का वध कर दिया। जिस खंभे को फाड़कर भगवान् अवतरित हुए वह खंभा बनमनखी के धरहरा मे है। (अनुभवी आंखें न्यूज चैनल के मुख्य संपादक व सीईओ) पुरातत्व विभाग ने भी एतिहासिक रूप प्रमाणित कर दिया है तो वहीं गीताप्रेस की किताबों में भी जिक्र है। ऐसे एतिहासिक रूप महत्वपूर्ण भूमि बनमनखी उपेक्षा की शिकार क्यों। पर्यटन उद्योग विकसित किया जाना चाहिए।। :- अनुभवी आंखें न्यूज चैनल के लिए गौरव गुप्ता की रिपोर्ट

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