मऊरानीपुर (झाँसी) – नगर के बी. एस. एम. स्कूल गाँधीगंज में लौह पुरुष सरदार बल्लभ पटेल की जयन्ती बडे धूमधाम के साथ मनायी गयी। जिसमें सरदार बल्लभ भाई पटेल के चित्र पर डायरेक्टर सौरभ भार्गव के द्वारा तिलक एवं माल्यार्पण कर उनको याद किया गया। स्कूल डायरेक्टर के बाद समस्त स्टाफ व बच्चों ने भी तिलक कर फूल चढाकर पटेल जी को याद किया। और उनके मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। इसी के साथ स्कूल डायरेक्टर सौरभ भार्गव ने बच्चों को सरदार बल्लभ भाई पटेल के बारे में बताते हुये कहा कि आज इनकी हम लोग 143 वी जयन्ती मनाने जा रहे है। ये भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री बने। इसी के चलते अपने सम्बोधन में बताया कि इनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाद में हुआ था। इनके पिता का नाम झावेर भाई और माता का नाम लाडवा पटेल था। माता- पिता की चौथी सन्तान बल्लभ भाई पटेल कुशाग्र बुद्वि के थे। उनकी रुचि भी पढाई में ही ज्यादा रही। इस दौर में विवाह कम उम्र में ही हो जाते थे। तब सरदार बल्लभ भाई पटेल का विवाह 16 वर्ष की उम्र में हो गया था। पत्नी का नाम झावेरबा था। इन्होने लॉ डिग्री हासिल की थी। शादी के बाद उन्हें जो सन्तान प्राप्त हुयी थी उनमें वेटी मणिवेन और बेटे का दाहया भाई पटेल नाम रखा गया था। सरदार कितने मेधावी थे इनका अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है। कि 1910 में वो पढाई के लिये इंग्लैण्ड गये और लॉ का कोर्स उन्होने आधे वक्त में ही पूरा कर लिया था। इसके लिये उन्हें पुरुस्कार भी मिला था। इसके बाद वो भारत लौटे थे। 1917 में जब गुजरात के कई हिस्से अकाल से कराह रहे थे तब पटेल जी की गाँधी जी से मुलाकात हुयी थी। जिससे गाँधी जी ने उनकी प्रशासकीय क्षमता से बेहद प्रभावित होकर उन्होने एक अस्थाई अस्पताल बनवायी थी। 1928 में बारछोली सत्याग्रह के वक्त ही वहाँ के किसानों ने उन्हें सरदार सत्याग्रह की उपाधि से सम्मानित किया था। 1947 को भारत में आजादी तो मिली लेकिन बिखरी हुयी। देश में कुल 562 रियासतें थी। कुछ बेहद छोटी तो कुछ बडी थी। इन्हें भारत का बिस्मार्क और लौह पुरुष भी कहा जाता है। इसी के चलते इनकों दिल का दौरा पड जाने से इनकी मृत्यु मुम्बई में 15 दिसम्बर 1950 को हो गयी थी। इसी के साथ बच्चों की निबन्ध प्रतियोगिता आयोजित हुयी। जिसका शुभारम्भ मैनेजिंग डायरेक्टर प्रीति सैनी के कर कमलों द्वारा किया गया। मैनेजिंग डायरेक्टर ने फीता काटकर एवं सरस्वती माँ के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इसी के साथ ही बच्चों की निबन्ध प्रतियोगिता प्रारम्भ हुयी। जिसमें बच्चों ने अपनी – अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुये निबन्ध प्रतियोगिता को सफल बनाया। इसी के चलते प्रतियोगिता डेढ घण्टे में पूर्ण हुयी। जिसमें प्रथम स्थान कल्पना शिवहरे, द्वितीय स्थान संस्कार रायकवार व तृतीय स्थान मोहित कुशवाहा ने प्राप्त किया। तीनों प्रतिभागियों को डायरेक्टर सौरभ भार्गव ने उपहार भेंट कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस मौके पर रुबी बानो, बबली नामदेव, सुरेन्द्र कुशवाहा, सचिन मिश्रा, सुरेश सक्सेना, उमा देवी, कमलेश शर्मा, तहसीम बानो, धनकू देवी आदि स्टाफ मौजूद रहा। रिपोर्ट_सौरभ भार्गव अनुभवी आँखें न्यूज मऊरानीपुरupdated by gaurav gupta

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