सम्पादकीय… ःएक पीडि़त छात्रा कुछ इस तरह कठोर शब्दों का प्रयोग कर अपना रोष प्रकट करती है उन्हें लगता है कि दीवारों के उस पार कोई कोठा है… और हमसब सेक्स की भूखी जिस्मफरोश लडकियां। वे सोंच भी नहीं सकते कि कितने संघर्ष के बाद हम करियर बनाने घर परिवार से दूर हास्टल में रहने आते हैं। लडकियों के इस कथन से उनकी पीड़ा का सहज ही अनुमान हो जाता है। बहरहाल आपको बता दें कि पिछले दिनों पीएम मोदी जी के बनारस आगमन के समय लडकियों ने बीएचयू प्रशासन के समक्ष धरना प्रदर्शन आरंभ किया था।। करे भी क्यों नहीं मामला बेहद संजीदगी भरा था।


दरअसल कुछ लडके… नही मनोरोगी लफंगे कहना उचित होगा हास्टल के बाहर लडकियों के खिड़की के बाहर हस्तमैथुन करते थे जिससे परेशान लडकियों ने बगावत कर दी। प्रशासन के ढीलेपन के कारण जमकर हंगामा किया गया। आगजनी व लाठीचार्ज भी हुआ। बात बढी और हंगामा धरना प्रदर्शन दिल्ली तक पहुंच गई। दिल्ली के खालसा कॉलेज के गर्ल्स होस्टल में शराबी लडकेजबरन घुसते पकडे गए। हरियाणा की एक लड़की अपने पीजी का अनुभव बताते हुए कहा कि खिडकी के बाहर लफंगे मास्टरबेट करते दिख जाते हैं।

क्या है यह सब आखिर कैसे पढेगी बेटियाँ कैसे बचेंगी बेटियाँ पीएम मोदी की सपनों का भारत निर्माण कैसे होगा। जरा सोचिए बमुश्किल बेटियाँ पढने के लिए घर से बाहर निकलती है। उन्हें पढने दीजिए। हैरानी की बात तो यह है कि प्रशासन या पीजी वार्डन सख्त कार्रवाई के बजाय उलटेछात्राओं से कहते हैं कि छत पर मत जाओ या खिड़कियों को खोलती ही क्यों हो। अरे जनाब आप इन लफंगो से इतना ही डरते हैं तो खिड़कियां बनवाई ही क्यों। बंद कीजिए अपनी गलतियों को ढकने का तमाशा। उच्च स्तरीय जांच में बीएचयू प्रशासन की नाकामी दिख चुकी है। अभी भी देर नहीं हुआ है। स्कूल व कॉलेज व पीजी होस्टल के आसपास सुरक्षाकर्मियों की तैनाती करिए। ताकि बेटियाँ पढ सके और बेटियां बुरी निगाह से बच सकेः संतोष कुमार गुप्ता (मुख्य संपादक)

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  1. Today when we encourage & appreciate womens in every field for her healthy future This shamefull act of some student never acceptable

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