नवरात्रा के पीछे छुपा ज्ञान- विज्ञान:हर दृष्टि से है हितकारी
नवरात्रि एक हिंदू पर्व है और यह एक संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है ” नौ राते ”। इस त्योहार में माता के नौ रूपों कि पूजा की जाती है। कुछ लोग इन दिनों कथा और व्रत करते हैं ताकि उनकी मनोकामना पूरी हो जाए। इन दिनों व्रत का पालन करने वाले लोग दिनभर फलाहार ही लेते हैं और दिन में एक बार ही भोजन ग्रहण करते हैं।

इन दिनों बाजार या बाहर का कुछ भी खाना वर्जित होता है। नौ दिनों तक केवल सात्विक खाने का सेवन किया जाता है। जिसे विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो शरीर कि शुद्धि कहेंगे। नवरात्र साल में दो बार आते हैं। एक बार गर्मियों की शुरुआत में और दूसरी बार सर्दियों कि शुरुआत में, इन दोनों ही समय बिमारियों का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इसलिए इन दिनों व्रत करने से हमारा तन और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। कुछ भी बाहर का ना खाने से और फलाहार व घर का सात्विक खाना खाने से शरीर रोगमुक्त रहता है। नौ दिनों तक व्रत का नियमपूर्वक पालन करने से एक तो हमारे अन्दर संकल्प शक्ति बढ़ती है, दूसरा एकाग्रता में वृद्धि होती है और साथ ही साथ हमे अनुशासन में रहने का ज्ञान मिलता है।


नवरात्रि में रात के समय पूजा और भजन – कीर्तन के पीछे छुपे विज्ञान कि बात की जाए तो रात्रि के समय काफी अवरोध दूर हो जाते हैं। जैसे कि रात के समय आवाज़ काफी दूर तक पहुंच जाती है। जिसका कारण है सूर्य की किरणें, वे आवाज़ को और रेडियो कि किरणों को आगे बढने से रोकती हैं। मंदिरों में बजने वाले शंख और घंटे कि आवाज़ की कंपन से काफी किटाणु मर जाते हैं।वहीं दूसरी ओर दशहरा उत्सव भी मनाया जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है यह।

जहां देवी दुर्गा ने महिषासुर वध कर देवताओं को आतंक से मुक्त किया वहीं भगवान् राम ने रावण वध कर आतंक का अंत किया था। बहरहाल हिंदू धर्म में आस्था का केंद्र है यह पर्व। ःअनुभवी आंखें न्यूज ब्यूरो।

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