सांसदों और विधायकों पर चल रहे आपराधिक मामलों के निपटारे के लिए केंद्र सरकार के स्पेशल कोर्ट, बनाने के प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दे दी है ।
केंद्र सरकार ने सांसदों और विधायकों पर चल रहे मामलों को निपटाने के लिए एक साल तक 12 स्पेशल कोर्ट चलाने पर सहमति जताई थी। इन स्पेशल कोर्ट में करीब 1571 आपराधिक केसों पर सुनवाई होगी। ये केस 2014 तक सभी नेताओं के द्वारा दायर हलफनामे के आधार पर हैं। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया था कि इस वक्त 1581 सांसदों और विधायकों पर करीब 13500 आपराधिक मामले लंबित है। इनके निपटान के लिए एक साल के लिए 12 विशेष अदालतों का गठन किया जाएगा, जिस पर 7.80 करोड रुपये का खर्च आएगा।

उच्चतम न्यायालय ने समूचे देश में सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों का आंकड़ा इकट्ठा करने और उसके मिलान के लिए केंद्र को दो महीने का वक्त दिया है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘राज्य सरकारें उच्च न्यायालयों की सलाह से फास्ट ट्रैक अदालतें स्थापित करें और सुनिश्चित करें कि वे एक मार्च 2018 से काम करना शुरू कर दें।

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