गया(संवावदाता धीरज गुप्ता) – बिहार केन्द्रीय विश्विद्यालय,गया द्वारा नवाचार कौशल विषय पर कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम Workshop-cum-Training on Innovative Skills का आयोजन किया गया जो ये कार्यक्रम मानव संसाधन विकास मन्त्रालय,नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर एंड टीचिंग योज़ना के तत्वाधान में किया जा रहा है इस कार्यक्रम के प्रथम सत्र में डॉ. एच.एन दत्ता ने आज कार्यक्रम का दूसरा दिन है आज के कार्यक्रम के पहले सत्र में डॉ एचएन दत्ता, निदेशक,इनोवेटिव सेल, एस.एल.पी.एस.,गाजियाबाद ने ‘लाइफ ऑफ अंटार्कटिका’ के विषय पर अपना व्याख्यान दिया और उन्होंने अंटार्कटिका पर फ्लोरा और फाउना और भारतीय अनुसंधान केंद्र मैत्री के विषय में चर्चा की एवं भारतीय केंद्र भारती किस तरह के अवसर शोधकर्ता और शिक्षाविदों को अंटार्कटिका पर अपनी शोध परियोजनाएं के लिए उपलब्ध कराता है और इस विषय में जानकारी प्रदान की गई एवम कार्यक्रम का दूसरे सत्र में शिक्षा विद्यापीठ की अधिष्ठाता एवं कार्यक्रम समन्वयक प्रोफेसर रेखा अग्रवाल ने नवाचारी शिक्षण अधिगम विषय पर अपना व्याख्यान दिया है और इन्होने शिक्षा में नवाचार के महत्व और उसकी प्रासंगिकता पर अधिक बल दिया और कहा कि शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में इसका समावेशन एवं अनुप्रयोग समय व शिक्षण की प्रभावशीलता हेतु आवश्यक है और इन्होनें ने कहा कि शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की प्रभावशीलता एवं उपादेयता को परिमार्जित करने के लिए कक्षा-कक्ष के वातावरण को अंतक्रिया पूर्ण एवं अधिगमकर्ता को क्रिया के समुचित अवसर प्रदान करने वाला होना चाहिए और अधिगमकर्ता के विचारों को प्रकट करने एवं शिक्षण में उसके अवधान को अधिक केन्द्रित करने के लिए शिक्षण तकनीकियों और व्यूह-रचनाओं में नवाचार को सुमेलित करने की आवश्यकता है तभी हम वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अधिगमकर्ता का सर्वंगीण विकास कर सकेगें और उन्होंने तेजी से बदलती दुनिया में नवाचार कौशल के महत्व पर प्रकाश डाला और यह भी बताया कि नवाचार कौशल न केवल नए ज्ञान पैदा करने में सहायता करने में महत्वपूर्ण है बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए एक व्यक्ति को आत्मनिर्भर,उत्पादक और सार्थक बनाने के लिए आवश्यक है तीसरे सत्र में प्रोफेसर ओ.पी. राय,उप-कुलगुरू,दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्विद्यालय,गया द्वारा लिया गया जिसमें उन्होंने भारत की सामाजिक और शैक्षणिक समस्याओं जैसे छात्रों के मूल्यों और शिक्षकों के मनोबल की अपनी चिंताओं को व्यक्त किया गया और इस कार्यक्रम के चौथे सत्र में प्रोफेसर मरमर मुखोपाध्याय,पूर्व निदेशक,एन.आई.ई.पी.ए. नई दिल्ली द्वारा अपना व्याख्यान अभिनव कौशल विषय पर दिया है इन्होनें बताया कि किस प्रकार अभिनव कौशल को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में समाहित किया जा सकता है और अपने विचार-विमर्श में इन्होनें शिक्षण प्रक्रिया को कैसे एक चर्चा सत्र बनाया जाए और शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को केंद्रित बनाने के लिए माहौल को कैसे सृजित किया जाए और अभिनव कौशल क्या हैं और उन्हें कैसे विकसित किया जा सकता है आदि विषय पर प्रकाश डाला है कार्यक्रम के अंत में डॉ. रविकांत जी ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया और इस कार्यक्रम में डॉ. किशोर, डॉ. आरती,डॉ. एन. वी. सिंह, डॉ. तरुण,डॉ. प्रज्ञा,आदि उपस्थित रहे|updated by gaurav gupta

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