चंपावत। मां पूर्णागिरी की अनुठा अनुपम मंदिर।श्रद्धालुओं की असीम आस्था का केंद्र। वैसे तो उत्तराखंड के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है इसलिए इसे देवभूमि भी कहते हैं।

चार धाम के अलावा अनेक तीर्थ स्थल समूचे देश से लोगों को यहाँ आने के लिए प्रेरित करते हैं। इनमें से ही एक है पूर्णागिरी मंदिर। कहते हैं कि 52शक्तिपीठ में से एक है। मां सती का “नाभि” यहां गिरा था। पहाड़ पर गिरने से यहां मंदिर बना। मां के नाभि रूप की पूजा उपासना यहां होती है। तीन महीने तक चलने वाली विशेष रूप से पूजा में लाखों की संख्या में लोग यहाँ आते हैं।

मां के पूजा के क्रम में भैरो मंदिर, काली मंदिर, व झूठा मंदिर भी पडता है। दर्शन के उपरान्त लोग नेपाल स्थित सिद्ध बाबा मंदिर भी जाते हैं। यहां आने के लिए बरेली से टनकपुर रेल व सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। शारदा नदी में स्नान कर यात्रा शुरू की जाती है। बहुत ही अनुठी छवि है मां की। ःधर्म समाचार अंतर्गत “अनुभवी आंखें न्यूज चैनल के” लिए अंकित गुप्ता “गुलशन” की रिपोर्ट।

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