कांडी(संवाददाता-विवेक चौबे) -कांडी गांव निवासी-मुरली प्रसाद(51वर्षीय) जो एक पारा शिक्षक थे।वे कांडी के मिडिल स्कूल में कार्यरत थे।

पारा शिक्षक होने के कारण वे गरीबी के शिकार थे।

पारा शिक्षक होने के कारण उन्हें जरूरतमंद कार्यों को कर पाना असंभव था,क्योंकि घर-परिवार,बाल-बच्चों की पढ़ाई-लिखाई सहित कई आवश्यक कार्य समस्या बन आ घेर लेते थे।

प्राप्त जानकारी के अनुसार वे पिछले तीन महीनों से बीमारी हालात में चल रहे थे।वे मधुमेह व रक्तचाप के मरीज थे,जिससे कि उनके दाहिने पैर में घाव हो गया था,जो दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था।

परिजनों ने बताया कि सोमवार को वे विद्यालय जाकर बायोमैट्रिक से उपस्थिति बनाकर शिक्षण कार्य किए थे।किंतु रात्रि में सोने के पश्चात सोए ही रह गए।

बल्कि यों कहें कि जीवन व मौत की जंग से जूझ रहे थे।

उनके पास इलाज कराने के वास्ते पर्याप्त पैसे नहीं थे,जिससे कि वे अच्छे अस्पताल में भर्ती हो कर अपना अच्छे से इलाज करा सकें। दिन प्रतिदिन पैसों के अभाव में उनकी हालत बिगड़ती गयी।

यह खबर सुन कांडी प्रखण्ड के सभी पारा शिक्षकों ने चंदा एकत्रित कर पैसे दिया था,जिससे उनकी बीमारी ठीक हो सकें।

किन्तु विधाता का लिखा कौन मिटा सकता है।

पारा शिक्षक-मुरली प्रसाद की रात्रि में लगभग 10 बजे मौत हो गयी।

वे अपने पीछे पत्नी,तीन पुत्र व एक पुत्री छोड़ चले।परिजनों को रो रोकर बुरा हाल है।

मुरली जी की मौत की खबर सुनकर लगभग 2 दर्जन पारा शिक्षक उनकी दाह-संस्कार में सम्मलित होकर शोक व्यक्त किए।

उपस्थित सैकड़ों ग्रामीणों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किए।

बताते चलें कि मुरली जी यदि पारा शिक्षक व सरकार के अधीन नहीं होते तो इतने पैसे जरूर कमा सकते थे,जिससे कि वे अपना इलाज करवा सकते थे।

उनकी अंतिम संस्कार सोन नदी में किया गया।

मौके पर सैकड़ों लोग उपस्थित थे।

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